असल बाप आतंकवाद का
अरब है या अमरीका है।
हुआ रूस के चक्कर में
भारत भी अदू सरीखा है।
मंसूबे नापाक पाक
उकसाया काश्मीर देखो
सरहद पार तराशे सब
खालिस्तानी तीर देखो
संदेहास्पद आइ एस आइ का
हर एक तौर तरीका है।
बना सिमि सीमा के भीतर
होकर अब आइ एम मजबूत।
लोकतंत्र को दफ़नाने को
मज़हब बना रहा ताबूत।
इस्लामिक उन्माद ही क्यों
हर आतंकी में दीखा है।
हर सवाल का अल जवाहिरी
देता है अब वैब जवाब
तालिबान पढ़ें अलकायदा
कट्टरपंथी गढ़े हैं ख्वाब।
बेरोजगार जवानों ने
बारुदी इल्म ही सीखा है।
मुम्बई जयपुर अहमदाबाद
हुई हाय दिल्ली बर्बाद।
देशद्रोह को जाफ़र की
औलाद कहे फ़िर भी जेहाद॥
फ़ांसी के फ़तवे जारी
होते जो होती टीका है॥
नौ ग्यारह के बाद हुआ
नौ दौ ग्यारह लादेन कहाँ।
क्या कहना अब भी मुश्किल
ना पाक इरादे मुल्क जहाँ॥
खिसियाई बिल्ली सा बुश का
हो गया चेहरा फ़ीका है॥
Sunday, January 18, 2009
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