हमें मोहरा बना के चाल ना चलना प्यारे ।
हम भी शतरंज के माहिर हैं संभलना प्यारे ॥
जिच को जाँचे बिना परखे बिना घोड़ों को ना छू,
हाथियों से नहीं प्यादों को कुचलना प्यारे॥
मानते हैं बड़ा शातिर है तू सियासत में।
देख के पर बिसात अपनी उछलना प्यारे ॥
पैनी पैनी निगाह तुझपै खूब रखते हैं।
भूल कर भी हमें ना तू कभी छलना प्यारे ॥
मुँह की खायेगा तू लाजिमी यूँ ही हरदम ।
छोड़ दे छोड़ दे हमसे तू बिचलना प्यारे ॥
अंगुली मत उठा इस ओर, गर चाहे गनीमत।
सिपाही चाहते हैं आग उगलना प्यारे॥
नेस्तनाबूद सब होंगे चिलमची आज तेरे।
तेरी दहशत को होगा जड़ से उखलना प्यारे॥
Tuesday, February 10, 2009
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हमें मोहरा बना के चाल ना चलना प्यारे ।
ReplyDeleteहम भी शतरंज के माहिर हैं संभलना प्यारे ॥
bahut badhiya rachana .