Wednesday, March 25, 2009
हे ईश !
हे ईश!तेरी याद में सब कुछ भुला दिया।
महिमा ने तेरी मनसुमन मेरा खिला दिया॥
पाने को तुझको उम्र भर ढूंढा कहाँ नहीं।
रहता तू जर्रे जर्रे में फिर क्यों मिला नहीं।।
बस लेके नाम ही तेरा जीवन बिता दिया.......
तूफान आँधी में सदा ’संदीप‘ ये जला ।
बीहड़ अँधेरी राह में हरदम है ये चला ॥
पाने को तेरा आसरा खुद को मिटा दिया.....
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is mit jane me hi to jeevan ka anand hai bahut sunder abhivyakti hai
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