Wednesday, March 18, 2009

नेताजी सुभाषचंद्र बोस-शतक

पूर्ण हों प्रयास सभी, प्यास न किसी की रहे ,
सुधा - वृष्टि कर हर। क्षुधा हर दीजिए ।
ज्ञान का प्रकाश मम, मानस में होवे सदा ,
उर में पुनीत भावनाएं भर दीजिए ।
बच्चा बच्चा नेता जी सुभाषचन्द्र बोस होवे ,
ऐसी नव - सृष्टि प्रभो ! अब कर दीजिए ।
वाणी में मिठास लेखनी का हो विकास सदा ,
काव्य हो “अमित” प्रभो ! ऐसा वर दीजिए ॥
[१]
भुखमरी, हाहाकार, शोषण, कुयातना ये,
भारत – माता से और, सही नहीं जाती थी ।
अबला – सी दिन – रात,फूट – फूट रोती थी ये,
वेदना “अमित” तन – मन झुलसाती थी ॥
अँगरेजी शासन था, कंस के कुशासन – सा,
मुख से विरुद्ध बात, निकल न पाती थी ।
हो गई थी हावी परतन्त्रता स्वतन्त्रता पै,
भारत की दीन – दशा, दिल को दुखाती थी ॥
[२]
गुलामी की जंजीरों में,जकड़े पड़े थे हम ,
अँगरेज हम पर, जुलम ढहाते थे ।
नौकर – सा हमसे वे, करते थे व्यवहार ,
और हमें “अमित” वे, “डॉग” बतलाते थे ॥
साथ – साथ सड़कों पै, चलने न देते हमें ,
चलतों को जलिम वे, कोड़े लगवाते थे ।
मनमाना हमको सताते थे वे दिन रात ,
और हम मुख से न, उफ़ कर पाते थे ॥

[३]
जखमों पै नमक हमारे मलता था दुष्ट ,
दर्द की पुकार कोई नहीं सुन पाता था ।
मीन से “अमित” हम, तड़प रहे थे दीन ,
प्रेम से न कोई हमें, पास बिठलाता था ॥
पग – पग डाँट – फटकार के शिकार मान ,
अंगरेज हम पै हुकूमत चलाता था ।
घूँट विष का ही हमें, उसने पिलाया सदा ,
भूरी बिल्ली जैसी निज, आँख दिखलाता था ॥
[४]
एक – एक टुकड़े के, करके “अमित” भाग ,
आपस में खुशी – खुशी, प्रेम से थे बाँटते ।
कभी – कभी आध मुट्टी भर सत्तु खाकर ही ,
जीवन के गमगीन, दिवस थे काटते ॥
रत्ती भर जो न कभी, फाँकने को कुछ मिला ,
तब टकटकी लगा, गगन थे ताकते ।
फुटपाथों पर श्वान – सम जूँठी पत्तलों को ,
वह भारतीय भूखे, बालक थे चाटते ॥
[५]
हिंसा, छल, दम्भ, झूठ, लूट तथा फूट से ही ,
राज चाहते थे वे “अमित” विश्व – भर में ।
सभ्यता हमारी मेटने को वे तुले थे और ,
पश्चिमी चलन चाहते थे नारी - नर में ॥
सड़कों पै घूमें लाजहीन होके अंगनाएँ ,
चाहते विलास थे वे, डगर – डगर में ।
भारत गरीब रहे, शासन हमारा रहे ,
दुखीं रहें भातीय, अपने ही घर में ॥

[६]
जिसने सिखायी सारे, विश्व को सदा ही सीख ,
ऐसे गुरु भारत को, सीख सिखलाते थे ।
जिन वेदों को बताते, ऋषि – मुनि ईश – वाणी ,
उन्हें वे गडरियों को, गीत बतलाते थे ॥
“इंकलाब जिंदाबाद”, कहते जो भारतीय ,
पकड़ – पकड़ उन्हें, जेल भिजवाते थे ।
“वंदे मातरम्” गाने वाले व तिरंगे वाले –
को तो वे “अमित” सीधा फाँसी चढ़वाते थे ॥

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