शहीद-स्मृति:
मातृभूमि पर प्राण न्यौछावर करने वालों,
याद रहेगी युग-युग तक बलिदान-कहानी।
रक्त सींचकर बल-पौरूष से मरने वालों,
भूल सकेगा क्या स्वदेश, बलिदान-निशानी।।१।।
प्राण तजे अपनाया तुमने, अखिल देश को,
छोड़ चले घर-बार, बचाया मातृभूमि को।
राष्ट्र-प्रेम पर प्राण, न्यौछावर करने वालों,
युगों-युगों तक कभी न होगी, बात पुरानी।।२।।
तुम्हीं सिंह के बच्चे, सच्चे वीर तुम्हीं थे,
भीमार्जुन थे वीर, शिवा प्रणवीर तुम्हीं थे।
तुम भारत-सन्तान, आन पर मरने वालों,
समर-ज्वाल में डाल जवानी रक्खा पानी।।३।।
हे शहीद! तुम मरे नहीं, ‘हरि‘ अमर बने हो,
देश-प्रेम में बलि-बलि होकर भ्रमर बने हो।
राष्ट्र-धर्म पर प्राण समर्पण करने वालो,
याद रहेगी बलिदानों की अमर-कहानी।।४।।
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