प्रहरी सजग हम ,कर्णधार देश के हैं ,
खुद मिट जायेंगे या रिपु को मिटायेंगे।
कोई मातृभूमि पर ,नजर उठायेगा तो,
कर देंगे नेत्रहीन,फाँसी प झुलायेंगे।।
जलते संदीप सम करते प्रकाश सदा
चाहेगा बुझाना कोई उसी को बुझायेंगे।
धाक पाक हम पर चाहेगा जमाना यदि
कर देंगे राख उसे खाक में मिलायेंगे।।
कंटक बिछाने वाले काटने पड़ेंगे हाथ
काँटे जिनसे वो आगे नहीं बिछा पायेंगे।
तोड़कर पाँव पंगु करना पड़ेगा उसे
जिन्हें आगे हिन्द वो नहीं बढ़ा पायेगा।।
साठ गाँठ कितनी ही करले विदेशों से पै
भारत की गरिमा को नहीं गिरा पायेगा।
विश्व का रहेगा गु्रु,भा-रत भारत देश
ज्ञान का संदीप कोई बुझा नहीं पायेगा।।
Tuesday, March 3, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment