Sunday, January 24, 2010

दो दो घर इक आदमी रहता फ़िर भी तंग

बचपन से था ख्वाब इक उड़ूँ हवा के संग।
मैं भी ज्यों आकाश में उड़ते सभी विहंग॥१॥

धीरे धीरे पर हुआ मुझको भी मालूम।
बिना पंख नहीं आदमी सका व्योम को चूम।।२॥

मुझको जब जब दीखते नभ में वायुयान।
उड़ने को व्याकुल हुआ तब तब मैं नादान॥३॥

हवई जहाज में बैठ कर सात समन्दर पार।
आ पाऊँगा मुफ़्त में पता नहीं था यार॥४॥

गजब देश है अजब हैं सभी यहाँ के ढंग।
दो दो घर इक आदमी रहता फ़िर भी तंग॥५॥

तनिक तनिक सी बात पर तुनक तुनक कर यार।
बीवी मीयाँ को करे बाहर ठोकर मार॥ ६॥

साठे पर पाठा भई लगना अच्छी बात।
पर क्यूँ बूढ़ा षोडशी संग गात सुलगात॥७॥

पचपन में बचपन चढ़ा,बचकानी करतूत।
गणिकालय में हैं पड़े चढ़ा काम का भूत॥८॥

बच्चे आवारा रहें गायब रातोंरात।
गलबइयों से ली बढ़ा बहुत ही आगे बात॥९॥

गमछू प्रेसीडेंट की दूजी ब्याहता जाई।
वो नाबालिग छोकरी इक दिन मंदिर आई॥१०॥

पाँव पन्द्रहवें साल में ही करवाके भारी।
क्या सुख से बन पाएगी नारी वो बेचारी।।११॥

भ्रूणहनन पर मनन भी है संवेदनशील।
स्कूलों में बँट रहा लिटरेचर अश्लील।।१२॥

सोने की चिड़िया छुटी लुटी सभी जागीर।
हाय क्यों परदेश में ले आई तकदीर॥१३॥

होते ढोल सुहावने सदा दूर के यार।
अभी तलक समझे नहीं प्यारे रिश्तेदार॥१४॥

हाथ पाँव हैं मारते करते हर तदबीर।
चले कनाडा के लिए बेच सभी जागीर॥१५॥

झरते डालर डाल से हैं यूरो के पेड़।
बने विदेशों के लिए घने पढ़े भी भेड़।।१६॥

हर युवक है बुन रहा ख्वाब यही दिन रैन।
सोते जगते हों भले खुले अधखुले नैन॥१७॥

अमरीका इंलैण्ड में ही है असली चैन।
लैन्डेड होना मांगता है हर इण्डियन मैन॥१८॥

ऐसे भी पकड़े गये कई कबूतरबाज।
जिनका अपना था अलग साज बाज अंदाज॥१९॥

कई केस ऐसे खुले जिनमें खुद माँ बाप।
बेटे बेटी से करा रहे भयंकर पाप॥२०॥

लालच डालर का बुरा,बिका दीन ईमान।
बार बार हैं हो रहे, नकली कन्या दान।।२१॥


पंद्रह बीस हजार में दूल्हे दुल्हन फर्जी।
जहाँ तहाँ उपलब्ध हैं ले लो जितनी मर्जी॥२२॥


हमने तो यहाँ तक सुना इधर उधर से यार।
रिश्तों को रख ताक पर ब्याह रचें मक्कार॥२३॥


लेकिन हम दस साल में असल समझ यह पाए।
सौ फ़ीसद परदेश में कौन सुखी रह पाए॥२४॥

सब भूमि गोपाल की बात अगर सिरमाथ।
भारत को रख हृदय में रहो प्रेम के साथ॥२५॥

तुम चाहे जिस देश में रहो कुटुम्ब समान ।
आर्य कार्य करते रहो वसुधा का कल्याण॥२६॥

2 comments:

  1. बहुत सुन्दर दोहे!! यथार्थ सामने ला दिया.

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