संस्कृतछंद- भुजंगप्रयातं भवेद् यश्चतुर्भि:=एक पंक्ति में १२अक्षर यगण(यमाता ।ऽऽऽ) के क्रम से।
फ़ारसी बहर=फ़ऊल फेलन फ़ऊल फ़ेलन-२
ज़ेहाले मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल्दोरायनैना बनाय बतियां।
कि ताबे हिजरां नदारम एजां न लेहो काहे लगाय छतियां॥
शबाने हिजरां दराज़ चूं जुल्फ बरोजे बसलत चो उम्र कोतह।
सखी पिया को जो मैं न देखूं तो कै से काटूं अंधेरी रतियां॥
यकायक अज़ दिल दो चश्मे जादू बसद फरेबम बबुर्द तस्कीं।
किसे पड़ी है जो जा सुनावे पियारे पी को हमारी बतियां॥
चो शम्मा सोज़ां चो ज़र्रा हेरां हमेशा गिरयां बे इश्क आं मेह।
न नींद नैना न अंग चैना न आप आवें न भेजें पतियां॥
बहक्के रोजे विसाले दिलबर कि दाद मारा गरीब खुसरो ।
सपीत मन के बराय राखूं जो जाए पाऊं पिया के खतियां॥
Sunday, March 7, 2010
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