Thursday, December 23, 2010

खुद की तलाश

जिस्म तो बस लिबास है यारों।

मुझको खुद की तलाश है यारों।।

 

खुद ही खुद का वज़ूद पहचानूँ।

खुद से ख्वाहिश ये खास है यारों॥

 

फलसफ़े औरों के कुबुल नहीं

गहरी खुद ही में प्यास है यारों

 

आजमाइश बग़ैर इल्म ए कुतुब

होता कोरी कयास है यारों ॥

 

जो ना तदबीर ए तजुर्बात करे

शख्स वो जिंदा-लाश है यारों॥

 

किस पयम्बर ने दकियानूसी का

ना किया पर्दाफाश है यारों॥

 

लाऊँ इमान क्यों इमामों पर

दिल में कुरआन ए खास है यारों॥

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