Saturday, May 8, 2010

अनुपमा माँ


अनुपमा माँ !
सात समुद्रों से भी ज्यादा
तेरे आँचल में ममता है।
देखी हमने सारे जग में,
ना तेरी कोई समता है॥

सौम्य सुमन सरसिज के हरसें
सरसें स्नेह सरोवर नाना।
सुप्रभात की अनुपमा सुषमा,
सदा चाहती है विकसाना॥
सुधा स्पर्श सा सुन्दर शीतल
सुखद श्वास प्रश्वास सुहाना।
कल्पशाख से वरद सुकोमल
कर अभिनव मृणाल उपमाना॥
स्वर्ग और अपवर्ग सभी कुछ,
माँ की गोदी में रमता है॥

हो शुचि रुचि पावन चरणों में,
तेरा करूँ चिरन्तन चिन्तन।
शीश चढ़ा दूँ मैं अर्चन में,
अर्पित कर लोहू का कण कण॥
मणिमय हिमकिरीटिनी हेमा
माँग रहे वर तव सेवक जन।
शुभ्रज्योत्स्ना स्नात मात तव
वत्स करें शत शत शुभ-वंदन॥
सप्त सिन्धु का ज्वार तुम्हारे
पद पद्मों को छू थमता है॥

2 comments:

  1. सुंदर भाव ...मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ !!

    ReplyDelete
  2. maa ko dekhane ki chahat me
    pita din rat roda lagate hain
    jisase mai janama tha kabhi
    use apani sampati batatey hain
    kisase dukh karuan bayan aapana
    sapane me maa roj aati hai
    dua karata huan un sabake lia mai
    jinaki maa unake aas pas hoti hai

    sudhir singh sudhakar

    ReplyDelete