Friday, March 6, 2009

मूर्खों का स्वर्ग

ठंडी ठंडी हवा हड्डियों के अंदर तक जा जाकर मज्जा तक को ऐसे जला रही थी कि जैसे कोई प्रवासी डाक्टर तल्लीनता के साथ अपनी देसी ब्याहता की हिमखण्ड से सिकाई कर रहा हो। मेरी गाड़ी में चारों पहिये यों तो टायर वर्ड से नये डल गये हैं लेकिन कार का हीटिंग सिस्टम ठंडा का ठंडा ही पड़ा है। क्योंकि आजकल चल रहे रिशेसन का असर तथाकथित योगास्टूडेंटों पर कुछ ज्यादा ही दिखाई दिया है ना, सो मैं मैकेनिक के पास जाने से जानबूझकर जी चुराता रहा हूँ, डैशबोर्ड पर महीनों से स्थायी हो चुकी सर्विस इंजिन सून की लाल लिखावट को पीली बत्ती समझ कर एक्सीलेटर को पाँव से ओर जोर से दबाता हूँ।
लेकिन कल इतवार के रोज़ लगातार बर्फ़बारी होने के कारण गाड़ी का पंखा फुल स्पीड पर चलाने के बावज़ूद भी जब शीशे धुँधले ही होते गये तो मैंने थोड़ी खिड़की खोल कर कार चलाने की नाकामयाब कोशिश की।जिसकी वजह से कँपकपाते हाथों से मुझे हाइवे ४१० से बोवेड पर एग्जिट लेना ही पड़ा।
ट्रिनिटि माल में कारों के सामान का जो बहुत बड़ा store Canadian tire है उस पर जाकर कार की मरम्मत का विचार जोर पकड़ने लगा| सो अंदर जाकर सब खर्चा पूछ्ने पर गोरांग प्रभू ने जो स्टीमेट मेरे को बताया तो उससे तो मेरे पूरे माथे पर स्वेद कण प्रतिभासित होने लगे,लेकिन वो कहते हैं न कि तुरतबुद्धि वाले हमेशा बच ही निकलते हैं किसी भी परिस्थिति से ।सो मैंने Thanks a lot. See you tomarrow…! कहकर उसको रात की चिड़िया बनाना चाहा,लेकिन उसने भी अपना सिक्का जमाते हुए मुस्कराकर मुझे नेशनल बर्ड लून की तस्वीर वाला सिक्का सलीके से दिखा कर व्यंगपूर्वक मेरे पसीने की ओर घूरते हुए कहा Sir! Is it raining outside or snow……. अपनी जेब से सेल फोन निकाल झट से कान पर लगाते हुए बडी ही चालाकी से मैंने उसको अनसुना करने का कुशल अभिनय करते हुए .hello…from India .. I beg your pardon please.. कहते हुए अविलंब काउंटर छोड़ दिया।और किसी तरह बाहर आकर चैन की सांस ली। वापस जेब में सेलफोन रखते हुए अनायास मेरे हाथ में Wife द्वारा सितंबर महीने में मेरे ३०वें जन्म दिन पर दिया starbucks का giftcard आ गया।शायद शाहरुख खान की घड़ी घड़ी बद्ल रही है रूप जिंदगी गीत वाली मूवी में starbucks वाली छवि का खयाल करके ही श्रीमति जी द्वारा giftcard भेंट किया गया हो।जिसको पिछ्ले तीन माह से मैंने पहले प्यार की पहली चिट्ठी से भी ज्यादा सहेजकर रक्खे हुए था।सोचा था किसी दिन मौसम के बेईमान होने पर इसी कार्ड से किसी शाम को उनके नाम करेंगे।लेकिन आज सुबह सुबह की इस ठंड ने तो शरीर को कँपकपाने के साथ साथ मेरे सारे सुहाने सपनों पर भी मानों तुषारापात कर दिया।
लेकिन unused giftcard की limit जान लेने के खयाल ने कुछ ही क्षणों में मुझे कॉफ़ीहाउस की सौम्यतारिका के समक्ष ला खड़ा किया। और मैंने सबसे कम कीमत की lemon tea का extra hot grande size कप एक अजीब से कौतुक के साथ चुस्कियां ले लेकर पीना शुरु किया।पहलीबार विदेश में आकर पिछ्ले१० सालों में अकेले किसी रेस्त्रां में चाय पीने का मेरा यह पहला अनुभव था।क्योंकि हमेशा ही या तो मित्र मेहरबां हुये या फ़िर श्रीमतीजी के साथ मोर्चा संभाला है।
खैर! सकपकाया सा मैं सामान्य होने की चेष्टा कर ही रहा था कि मेरे कानों में हिंग्लिशनुमा किसी भाषा के शब्द सुनाई पड़े।नज़र दौड़ाई तो कुछ एंग्लोइंडियन चेहरे दिखाई पड़े।जो पेय द्रव्यों की उष्णता का आनंद त्याग द्रवित हृदयों से हिमश्वेताओं की साक्षात रूपराशि में आविर्भूत हो चक्षुस्नान कर स्वयं को धन्य महसूस कर रहे थे।
एक अजीब सी रोमांटिक सिहरन के साथ पहला व्यक्ति बोला…… यार ये जो country है ना कुछ ज्यादा ही ठंडा है।पर……..
दूसरा …ओय डिपोटिये बस चुप भी कर ।पर वर क्या ….. अमीर माँ-बाप की सारी की सारी खेतीबाड़ी बेचबाचने के बाद रेफ़्यूजी केस के सेटल होजाने के बाद तुझे अब पर भी लग गये।अब कहता है कि ये देश ठंडा है।रात दिन एक करके जिस दिन मेहनत शुरु कर देगा तो देखना पसीने पसीने ना हो जा तो !

तीसरा-अबे ट्रकिंग किंग जरा तमीज में आहिस्ता आहिस्ता से बोल आसपास के लोगों के कान क्यों खड़े करवावै। बहुत आया उपदेश झाड़ने वाला, इंडिया में जा के बतावै कुछ का कुछ ओर यहाँ रोज़ नये नये बॉस के गोरे काले तलवे चाटने को मेहनत समझै।घर पै तिनका तक नहीं तोड़ा।।पंद्र्ह सालों में तेरी मेहनत ने दो बच्चों की नाजायजगी के पता चलने के बाद अलग हुई औरत का खर्चा उठाने सिवा आज तक कमाया ही क्या है।

डिपोटिया … ओये सिट्जनिये भाई देखो माफ़ करो यार ! क्यों खामहखां मुफ़्त में अपनी अंगरेजी खुद ही करने लगे हो। वैसे तो हम सभी धोबी के कुत्ते हैं जिनका घर बचा ना घाट। तुमने तो यारों topic ही किरकिरा कर दिया मैं तो कहना चाह रहा था की यार ये जो country है ना कुछ ज्यादा ही ठंडा है। पर गरम कॉफ़ी के साथ साथ नज़ारे काफी गरमागरम हैं।मेरा तो दिल ही पिघल सा रहा है।
चौथा – अबे यारों कनाडा cold नहीं cool country है इसके इन गरम नज़ारों
के ही तो कारण मैं लक्की बार बार visitor visa ले लेकर घर वालों की आँखों में धूल झोंकता हूँ।
और फ़िर चारों के चारों की चाण्डाल चौकड़ी पूर्ववत चुस्कियों में लीन होने का नाटक कर काफ़ी के कपों से उठती भाप की उँचाई नापने के बहाने से सुलोचना कामिनियों के लोल कपोलों को लुच्चों की भाँति ललचाई नज़रों से रह रह कर ताकने लगी ।

यह दृश्य देख कर मुझे अपने पूज्य दादा जी की दी नसीहत अनायास याद आने लगी कि
संदीप संभलकर रहना ,तुम्हारे लिए विदेश कर्मभूमि है ! और मूर्खों के लिए स्वर्ग है।

1 comment:

  1. कुछ आपकी भाषा और रूपक का अंदाज़ और कुछ बात कहने में व्यंग्य और सच्चाई.."अनर्गल प्रलाप", अनर्गल नहीं लग रहा..बल्कि प्रवासी जीवन के दो अलग सत्य हैं।

    सुंदर लेखन के लिए बधाई!!

    शैलजा

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