Friday, August 6, 2010

स्मारिका २०१०

हिन्दी राइटर्स गिल्ड की स्निग्ध काव्य कला कौमुदी में कनाडा का साहित्यिक जगत आम आदमी से जुड़ता जा रहा है। हिन्दी राइटर्स गिल्ड की अबतक की उपलब्धियों को गिनाना मेरा उद्देश्य नहीं है, क्योंकि कनाडा में रहने वाले सभी हिन्दी कलमकारों ने हिन्दी राइटर्स गिल्ड से अनुप्रेरित होकर जो सजग सक्रियता विशेषतया इस वर्ष दिखायी है वह अपने आप में हिन्दी राइटर्स गिल्ड के सशक्त अस्तित्त्व का तुमुल नाद है।अहिन्दीभाषी साहित्यकारों,पुस्तकालयों,एवं समय समय पर हिन्दी राइटर्स गिल्ड की मुख्यधारा के मीडिया (अखबार टी.वी,रेडियो) में भी दर्ज़ उपस्थिति दर्शाती है कि गिल्ड के कर्णधार सभी कवि,लेखक,कहानीकार, गीतकार,नाटककार व ग़ज़लकार अपनी अपनी विधाओं के विदग्ध या वज़नदार जानकार हैं।
जैसा कि सभी जानते हैं कि हर किसी को अपने पैरों पर खड़े होने के लिए एक ज़मीन तथा सिर उँचा करने के लिये एक आसमान की जरुरत पड़ती है वैसे ही हम सभी साहित्यकारों को भी अरसे से एक ऐसे
धरातल की तलाश थी जिस पर खड़े हो कर हम विश्व के साहित्य के आकाश में अपना सिर आत्मगौरव के साथ उँचा उठाये रक्खें।हिन्दी राइटर्स गिल्ड ही वो संस्था साबित हुई जिसने हमें बड़े सलीके व इल्मोहुनर से हिन्दी साहित्य के जमीनो आसमां से परिचित कराया है।
ऐसी जागरुक संस्था को उन्नत शिखर पर बनाये रखने के लिये अपना तन मन धन आदि से हर संभव सहयोग देना हमारा नैतिक कर्त्तव्य सा बन जाता है।
जैसा कि सभी को मालूम ही है कि हिन्दी राइटर्स गिल्ड की वार्षिक स्मारिका का प्रकाशन आगामी महीनों में हो रहा है।जिसमें आप अपनी मौलिक रचना पसंदीदा विधा में टाइप करके भेज सकते हैं,टंकण संबन्धी कोई समस्या हो तो हिन्दी राइटर्स गिल्ड के संपर्क में आ समाधान प्राप्त कर सकते हैं।
स्मारिका के प्रकाशक व संपादक मंडल ने मुझे जिम्मेदारी सौंपी है कि मैं आप सभी कविश्रेष्ठों से आपकी चुनिन्दा एक एक कविता इकट्ठी करूँ।साहित्यिक गुणवत्ता की दृष्टि से सर्वोत्तम आप कृपया अपनी एक एक रचना EMAIL—smarikahwg@gmail.com par भेज कर कृतार्थ करें।
कविता के अलावा कहानी,लेख,संस्मरण,गीत, ग़ज़ल,आदि सभी तरह की रचनाएं पूर्वोक्त email पर ही भेजें।साथ में अपना वर्तमान फोन या इमेल का पता भी प्रेषित कर दें जिससे कि आवश्यकता पड़ने पर हम आपके संपर्क में रह सकें।
साहित्यानुचर
संदीप कुमार त्यागी
दूरभाष-६४७ २८२ २५२९

1 comment:

  1. बहुत दिनों से आप कुछ लिख नहीं रहे हैं..हम आते हैं और बेरंग लौट जाते हैं. :)

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